Wednesday, 7 August 2013

जलजला


ये बारिशें तो कुछ भी तबाह नहीं करती
तबाह करते है तो वो सैलाब जो बरसो से
दबे होते है पलकों की कोरो में
लगा रहता है हर पल डर के
किसी की बस एक थपकी से कहीं
बाहर न आ जाये के जैसे कोई जलजला हो
कहीं कहदे न वो सब कुछ छूपा रखा है जो सब से
बारिशों से तो अक्सर खुश होते है लोग,मगर
ये जलजला आया कभी तो
मर जायेंगे मेरी माँ के सिरहाने रखे ख्वाब
टूट जायेंगे पिताजी की आस के चश्मे
बहनों की राखीयाँ ढूंढेगी मेरा हाथ फिर तो
दोस्तों संग चाय की सब चुस्कियां हो जाएगी बेस्वाद

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