दिल मेँ दिल से दिल का कोई आह भरा अफसाना होगा
सुरत भले नयी हो फिर भी मेरा अक्स पुराना होगा
तीखी तेज दरो-दीवारेँ चीरेगी हरेक जिस्म
टीस होगी फस्ल की पर जख्म सालाना होगा
कूच करो अब इस दर से ये कस्बा कल वीराना होगा
बस्ती खंडहर हो जाएगी हर मंजर बेगाना होगा
तूफाँ होँगे अँधड होगा होगी बारिश कभी कहीँ
कुदरत का मुझे परखने को फिर कोई नया बहाना होगा
पहले पत्थर थे अब कांटे हैँ आगे राह भरी शोलो से
'राहरौ' जरा किस्मत से पुछो कब ये सफर सुहाना होगा